Birsa Munda Short Note
Birsa Munda Short Note : बिरसा मुंडा एक युवा स्वतंत्रता सेनानी और एक आदिवासी नेता थे. उन्हें 19वीं सदी के अंत में ब्रिटिश शासन के खिलाफ एक सशक्त विद्रोह के लिए याद किया जाता है, जिससे अंग्रजी हुकूमत खार खाती थी. बिहार और झारखंड के आदिवासी इलाकों में जन्मे और पले-बढ़े बिरसा मुंडा के राष्ट्रीय आंदोलन को याद करते हुए, वर्ष 2000 में उनकी जयंती पर झारखंड राज्य बनाया गया था .
15 नवंबर, 1875 को जन्मे बिरसा ने अपना अधिकांश बचपन अपने माता-पिता के साथ एक गांव से दूसरे गांव में घूमने में बिताया. वह छोटानागपुर पठार क्षेत्र में मुंडा जनजाति के थे. उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सलगा में अपने शिक्षक जयपाल नाग के मार्गदर्शन में प्राप्त की. जयपाल नाग की सिफारिश पर, बिरसा ने जर्मन मिशन स्कूल में शामिल होने के लिए ईसाई धर्म अपना लिया. हालांकि, उन्होंने कुछ वर्षों के बाद स्कूल छोड़ दिया.
ब्रिटिश औपनिवेशिक शासक और आदिवासियों को ईसाई धर्म में परिवर्तित करने के मिशनरियों के प्रयासों के बारे में जानने के बाद, उन्‍होंने ‘बिरसैत’ की आस्था शुरू की. जल्द ही मुंडा और उरांव समुदाय के सदस्य बिरसैट संप्रदाय में शामिल होने लगे और यह ब्रिटिश धर्मांतरण की राह में चुनौती बन गया.
15 नवंबर, 1875 को जन्मे बिरसा ने अपना अधिकांश बचपन अपने माता-पिता के साथ एक गांव से दूसरे गांव में घूमने में बिताया. वह छोटानागपुर पठार क्षेत्र में मुंडा जनजाति के थे. 22 वर्ष की कम आयु में ही वे अंग्रजों की आंखों में इतने खटकने लगे थे कि उनपर 500 रुपये का इनाम भी रखा गया था.