“गोंडी” यह एक गोंड आदिवासियों की क्षेत्रीय भाषा है। यह भाषा देश के कई राज्यों के 30 लाख (2011 के जनगणना अनुसार) गोंड आदिवासियों द्वारा बोली जाती है। इस भाषा की गोंडी लिपि भी अस्तित्व में है, जिसका विकास हो तो नहीं हो पाया लेकिन लेकिन समाज के कुछ बुद्धिजीवी लोगो ने इसे सहेज कर रखा।
इस भाषा का उपयोग साउथ-सेंट्रल, मतलब मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, तेलंगना और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों के लोग दैनिक व्यवहार के लिए करते है।
यद्यपि यह गोंड लोगों की भाषा है, यह अत्यधिक संकटग्रस्त है, पांच में से के एक गोंड व्यक्ति इस भाषा उपयोग कर रहा है। गोंडी का एक समृद्ध लोक साहित्य है, जिसके उदाहरण विवाह गीत और आख्यान हैं। गोंडी लोग जातीय रूप से तेलुगु से संबंधित हैं।
गोंडी भाषा को बचाने के लिए, हमने 2016 से कई ऑनलाइन प्रोजेक्ट प्रस्थापित किये लेकिन सफल नहीं हो पाए। फिर भी हार न मानते हुए हमने ऐसी एक वेबसाइट की सुरुवात की है, जिसमे एक ही शब्दों अलग अलग अर्थ प्रविष्ट किये जा सकते है।
यदि आप भी गोंडी भाषा जानकार है, तो हमारे साथ जुड़कर “Gondi Language Dictionary” का पूर्ण रूप से विकास कर सकते है।
अधिक जानकारी के लिए निचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें – https://community.tribesofindia.org
Gondi Language बोली जाने वाले क्षेत्र
इसके अलावा ऊपर दिए गए डिस्ट्रिक्ट के आजु बाजु वाले गावों में भी गोंडी भाषा का उपयोग किया जाता है।
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