Kachargarh mela 2025

Kachargarh Mela 2025

कचारगढ़ मेला 2025 – परंपरा, पहचान और एकता का पर्व

भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक, कचारगढ़ मेला 2025, 10 फरवरी से 14 फरवरी तक महाराष्ट्र के गोंदिया जिले के सालेकसा तहसील के धनगांव में आयोजित किया जाएगा। यह आयोजन गोंड आदिवासी समुदाय के लिए एक विशेष महत्व रखता है, क्योंकि यह पर्व उनके उद्गम स्थल कचारगढ़ गुफा में मनाया जाता है।

कचारगढ़ जत्रा का महत्व

कचारगढ़ मेला गोंड आदिवासी समुदाय के लिए सिर्फ एक धार्मिक आयोजन ही नहीं, बल्कि उनकी संस्कृति, परंपरा और पहचान का प्रतीक भी है। यह एक ऐसा अवसर है जब बड़ी संख्या में गोंड समुदाय के लोग एकत्रित होकर अपने देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना करते हैं और अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रदर्शन करते हैं।

kachargarh cave

गोंडी साहित्य और नृत्य का आयोजन

कचारगढ़ मेले के दौरान गोंडी साहित्य महासम्मेलन का आयोजन किया जाएगा, जिसमें आदिवासी समाज के विद्वान, लेखक और कलाकार अपने विचारों और रचनाओं को साझा करेंगे। इसके अलावा, पारंपरिक गोंडी नृत्य का प्रदर्शन भी किया जाएगा, जो इस मेले का मुख्य आकर्षण होता है।

विशेष यात्री ट्रेनों की सुविधा

कचारगढ़ जत्रा में श्रद्धालुओं और पर्यटकों की सुविधा के लिए दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे द्वारा नागपुर डिवीजन से विशेष यात्री ट्रेनें मुफ्त में चलाई जाने की संभावना है। इससे देशभर से आने वाले श्रद्धालुओं को इस पवित्र स्थल तक पहुंचने में आसानी होगी।

सभी को सादर आमंत्रण

कचारगढ़ मेला सिर्फ गोंड समुदाय के लिए ही नहीं, बल्कि सभी सामाजिक बंधुओं के लिए खुला है। यह मेला एकता, भाईचारे और सांस्कृतिक विविधता का प्रतीक है। सभी श्रद्धालुओं को 10 फरवरी से 14 फरवरी 2025 तक इस प्राचीन स्थल पर आकर इस ऐतिहासिक आयोजन का हिस्सा बनने का सादर आमंत्रण दिया जाता है।

इस मेले में भाग लें और गोंड संस्कृति की इस अनूठी धरोहर का अनुभव करें!

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